स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, प्रथम मुख्यमंत्री तथा आधुनिक बिहार के विश्वकर्मा कहे जाने वाले डॉ श्री कृष्ण सिंह का व्यक्तित्व हमेशा से याद किया जा रहा।
डॉ श्री कृष्ण सिंह बिहार केसरी के नाम से बिहार में प्रसिद्ध है। बिहार केसरी डॉ श्री कृष्ण सिंह का जन्म 21 अक्टूबर 18 87 ईसवी को (मुंगेर जिले के) वर्तमान समय में शेखपुरा के बरबीघा अंचल के माउर ग्राम में हुआ था।
उनके जन्म को लेकर कई अभिलेख भी यहां मिलते हैं और जहां उनका जन्म हुआ था वह जन्मभूमि भी अभी तक सुरक्षित है।
1986 में जिला स्कूल से इन्होंने एंट्रेंस की परीक्षा पास की। कोलकाता विश्वविद्यालय से वकालत पास कर 1 अप्रैल 1915 को वकालत प्रारंभ की परंतु शीघ्र ही वे महात्मा गांधी के साथ गांधी जी की प्रेरणा से 1918 में नीलहे साहब के खिलाफ किसानों की सफल पैरवी की।
1920 ईस्वी में असहयोग आंदोलन में भाग लिया। 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन में भाग लिया और जेल जाना पड़ा।
1936 ईस्वी में बिहार में प्रथम कांग्रेस मंत्रिमंडल बना तथा इनको प्रधान चुना गया। इन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।
अनेकों बार जेल जाना पड़ा।
1946 को बिहार के मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया जिस पर जीवन के अंतिम क्षणों तक बने रहे।
31 जनवरी 1961 को इनकी मृत्यु हो गई। बिहार केसरी श्री कृष्ण को बिहार का विश्वकर्मा और आधुनिक बिहार का निर्माता कहा जाता है।
अपने जीवन में उन्होंने बिहार के विकास को लेकर अथक प्रयास किया तथा सामाजिक संरचना को मजबूत करने की दिशा में भी ठोस पहल की।
इन्होंने जमींदारी उन्मूलन को लेकर मजबूत प्रयास किए और अपने स्वजातीय के खिलाफ संघर्ष कर जमींदारी उन्मूलन किया। साथ ही साथ दलितों को देवघर मंदिर में प्रवेश करवाने के लिए मुख्यमंत्री रहते हुए संघर्ष कर मंदिर में प्रवेश करवाई।
आधुनिक बिहार के निर्माण में बिहार में इंजीनियरिंग उद्योग, रांची हैवी इंजीनियरिंग, बोकारो इस्पात कारखाना, रसायनिक कारखाना, सिंदरी खाद कारखाना, बरौनी तेल शोधक कारखाना स्थापित किया।
बिहार केसरी के इन्हीं प्रयासों से उनको आधुनिक बिहार का निर्माता कहा जाता है।
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री के नाम पर यह आईटीआई कॉलेज उनके जन्मभूमि बरबीघा में संचालित है । मुहिम फाउंडेशन के द्वारा संचालित इस आईटीआई में शैक्षणिक गुणवत्ता रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री के नाम पर यह आईटीआई कॉलेज उनके जन्मभूमि बरबीघा में संचालित है । मुहिम फाउंडेशन के द्वारा संचालित इस आईटीआई में शैक्षणिक गुणवत्ता रोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं।
Students enrolled
Teachers
Activities
Certificates
Our team is comprised of experts who are passionate about their work, and have an extensive background in a wide variety of applications.
I really impressed to see the facilities provided here.
I really impressed to see the facilities provided here.